नाना के नाम...
आप बहुत याद आते हैं ! "नाना"
मैं ये सोचते और अफ़सोस करते बनारस के लिए निकला कि मेरे बर्थडे के दिन ही नाना हम सब को छोड़ कर चले गए |
हाथ पैर ठन्डे पड गए थे, जब अपने मामा को पापा से बात करते हुए मैंने सुना था | निकलने के बाद कार में बैठे बैठे मैं बस माँ की सूजी हुई आँखों को देख रहा था और मन ही मन बनारस घर कि स्थिति का अंदाजा लगा रहा था |
सोच कर ही मन अजीब-सा हो रहा था कि-
कैसे मामू नाना को लेकर घर पहुंचा होगा ?
कैसा लगा होगा उस वक़्त नानी को ?
क्या दशा हुई होगी नानी की ?
ऐसे अनेक सवाल मेरे मन में आते जाते रहते थे, खैर मैंने ये सब अपनी आँखों से तो नहीं देखा पर मन ही मन मैं इन बातों का अंदाजा लगा सकता था |
रात 11 बजे के निकले हम सवेरे 5 बजे बनारस पहुंचे | गाड़ी में बैठे बैठे मैं सब के चेहरे देख रहा था | इसके सिवा जैसे कोई काम भी नहीं था मेरे पास | माँ बस रोती ही जा रही थीं | घर के गेट पर पहुँचते ही माँ के मुंह से निकला- हे! राम |
साथ ही मेरा और माँ का रोना शुरू था | कभी जिस आदमी को ज़मीन पर नंगे पैर चलते नहीं देखा, आज उन्ही को ज़मीन पर एक दम मौन पड़ा देखकर बहुत ख़राब लग रहा था, ये बस मैं जानता हूँ | इसे लिख नहीं सकता |
नाना के सिरहाने एक दीपक जल रहा था और कुछ अगरबत्तियां थी जो जल कर लगभग समाप्त होने को थीं | नानी ने बताया कि नाती होने के नाते मुझे कुछ जल-वल नाना के मुँह में डालना है | पता नहीं कैसा अजीब-सा मन हो रहा था मेरा |
नाना के चेहरे पर एक शौल डला हुआ था | नाना के चेहरे से शौल हटाने कि हिम्मत मैं इकट्ठी नहीं कर पा रहा था | शौल हटाने से पहले न जाने कितने चेहरे मेरे मन में बन-बिगड़ रहे थे | अभी मेरी हिम्मत हुई भी नहीं थी कि नानी ने नाना के चेहरे से शौल हटा ही दिया |
नाना बिलकुल खामोश, चित्त पड़े हुए थे |
सूजी हुई आँखें, कसे हुए दांत, अकड़े हुए हाथ, ऐंठी हुईं उंगलियाँ, और पेट कुछ हद से ज्यादा फूला हुआ | इन सभी बातों का अंदाजा मुझे तब हुआ जब मैं नाना के मुंह में तुलसी जल डालने लगा | नाना का मुंह मेरे हाथों से खुल नहीं रहा था | अपनी तरफ से मैंने पूरी ताक़त लगा दी थी |
सुबह होने को थी और इस बीच मैं हॉस्पिटल जाकर नाना का Death-Certificate भी ले आया | मुझे लौटते-लौटते सवेरा हो गया था | और सारे रस्मो रिवाजों को मुझे और मेरे मामा को पूरा करना था | पापा को इन कार्यों के बीच आना बिलकुल सख्त मना था | हमारे हिन्दू कस्टम में यह कुछ बड़े सिर-दर्द हैं | सभी कोई तय्यारी में लग चुका था |
हमारे पारिवारिक पूजा-पाठ कराने वाले पंडित जी के घर जाने पर मालूम चला कि 1 महीने पहले पंडित जी का भी इंतकाल हो चुका है | अब शायद मेरे और मेरे मामा लोगों के लिए सबसे कठिन वक़्त था, क्योंकि बनारस जैसे पवित्र और धार्मिक स्थान पर एक पंडित मिलना मोहाल हो गया |
2 घंटे की भाग दौड़ के बाद रोते-धोते एक पंडित मिला भी तो ऐसा कि पंडित नहीं मानो कुछ और ही लग रहा था |
खैर उसके कहे अनुसार सारा काम करते कराते निबटा | हम लोग भी घाट पर 3 / 3.30 घंटे रुक कर आ गए | उस दिन वो सभी चीज़े मुझे देखनी और करनी पड़ी जो मैंने कभी सोची भी नहीं थीं | लेकिन ये कथ्य सही है कि वक़्त धीरे-धीरे सब कुछ सिखा देता है | शायद अब वैसा ही कुछ हो रहा था | अब मेरा वक़्त भी मुझे सिखा रहा था |
घर आने के बाद सभी साथ में बैठे थे |
नाना का बिस्तर बिलकुल खाली पड़ा था |
नाना का बिस्तर खाली देखकर, अपने मामा को पहली बार बिना दाढ़ी- मूछ के देखकर, और घर में अजीब सा सन्नाटा देखकर मन बहुत विचलित-सा हो रहा था | मामा के बच्चे भी बस कहने को ही छोटे हैं | उनके उतरे और उदास चेहरों को देख कर ऐसा लग रहा था मानो उन्हें सब कुछ समझ आ रहा हो |
मुझे बिलकुल सही लगता था... नानी और मेरी माँ के विचार कितने मेल खाते हैं, नाना के न रहने के बाद उन दोनों लोगो ने मुझसे एक ही बात कही कि-
"नाना अब सिर्फ फोटो में ही दिखेंगे |"
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| मेरे नाना |
सच पूछो तो आज भी वो दिन याद कर के ऐसा लगता है कि बहुत बुरा सपना हो | नाना का एका-एक चले जाना वाकई अविश्वसनीय था | माँ का खुद पर काबू पाना बहुत कठिन है ये बात मैं जानता हूँ | पर उसके बावजूद आज भी जब नाना की बातें आती है तो खुद को समझाने के साथ-साथ हम सब को भी यही समझाती हैं की किसी के जाने से जीवन नहीं रुकता |
माँ का घूम फिर कर हर पुरानी बातों को नाना से जोड़ देना मुझे इन्ही बातों का आभास कराता है की मानने को तो माँ ये मान चुकी हैं, की नाना अब हमारे समक्ष नहीं हैं, पर साथ ही वह ये भी मानती हैं की नाना हमसे दूर नहीं |
हर सवेरे उठ कर माँ का यही बताना की उन्होंने ने रात भर सपने में नाना को देखा ऐसी ही कुछ बातों को दर्शाता है |
और मैं सुन कर बस यही संतोष करता हूँ की नाना आज हमारे बीच तो नहीं हैं |
पर कहीं न कहीं वो हमारे दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे...|

sachmuchhhh ...........rula diya babu tumne.......bahot miss karte hain unko sab log
जवाब देंहटाएंbabu mein bahot ro rahi hu... bahot hi sundar likha hai..
जवाब देंहटाएंmein to nai dekh pai nana ko.. but bilkul dekh sakti hu ab saari chize, jo b hui hongi..
miss u nana..n nani..
bahot sundar likha hai...
sach..
Betu.