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धब्बा

एक बार अपनी आंख बंद करो, दिल के भीतर जाओ अपने... थोड़ा नीचे, निचले हिस्से में, बायीं ओर, कोने में... बहुत सारी यादें दबी पड़ी हैं जहां... वहां देखो इक काले रंग का धब्बा दिखेगा तुम्हें.. वही धब्बा हूँ मैं... इधर काफ़ी दिनों से कोई आता जाता नही यहां, इसलिए अपने ही अंधेरे से थोड़ा काला पड़ गया हूँ... छुओ मुझे, फिर से रंगीन कर दो इक बार... -चित्रार्थ